1857-Ki Kranti Se Jude Rochak Tathy – 1857-की क्रांति से जुड़े रोचक तथ्य – इस लेख में हम आपको 1857 की क्रांति से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्यों से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आपको 1857 की क्रांति से जुड़े अच्छी खासी जानकारी प्राप्त हो जायेगी.
इस लेख में आप 1857 की क्रांति से जुड़े रोचक तथ्य के बारे में जानने वाले है, जो आपको 1857 की क्रांति के बारे में जानकारी प्रदान करेगा, साथ ही यह आपको 1857 की क्रांति की जानकारी पाने में भी सहायक हो सकता है.
तो चलिए अब बिना समय गवाएं आगे बढ़ते है और 1857 की क्रांति से जुड़े रोचक तथ्य (1857 of Revolution) से आपको परिचित कराते है.
1857-की क्रांति से जुड़े रोचक तथ्य – (1857-Ki Kranti Se Jude Rochak Tathy)
1. 1857 की क्रांति भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम अंग्रेजों के खिलाफ कई राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और सैनिकों के गुस्से के कारण हुआ था.
2. स्वतंत्रता संग्राम-1857 को प्रथम भारतीय विद्रोह, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है.
3. 1857 की क्रांति का मुख्य कारण 1856 ई. में अंग्रेजों ने पुरानी बन्दूक ब्राउन बास के स्थान पर नई एनफील्ड राइफल का प्रयोग करने का निर्णय लिया था.
4. देश की आजादी की इस पहली क्रांति को 164 वर्ष पूरे हो चुके हैं, यह क्रांति देशभक्तों को सदैव प्रेरणा देती रही है.
5. 1857 का संघर्ष ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक बड़ी और महत्वपूर्ण घटना थी, इस क्रांति की शुरुआत 10 मई, 1857 को मेरठ से हुई, जो धीरे-धीरे कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली, अवध आदि स्थानों तक फैल गई.
6. 1857 की क्रांति के सम्बन्ध में अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में भी काफी लेखन हुआ है.
7. 1857 की क्रांति के नाना साहब के साथ जो नाम लिया जाता है, वह तात्या टोपे का है, उन्होंने अपनी रणनीति और युद्ध कौशल से अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था.
8. मंगल पाण्डे एक ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध का बिगुल फूंका था और अपने निडर व्यक्तित्व से ब्रिटिश सरकार को भारतीयों की शक्ति का बोध कराया था.
9. 1857 की क्रांति के समय, बुशहर को छोड़कर, लगभग सभी लोग और उनके शासक क्रांति के दौरान निष्क्रिय रहे, उनमें से कुछ ने क्रांति के दौरान अंग्रेजों का समर्थन किया.
10. 10 मई 1857 को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय सैनिकों द्वारा संगठित क्रांति की शुरुआत की गई थी, जिसकी शुरुआत मेरठ से मंगल पांडे ने की थी.
11. 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर में मंगल पाण्डे नामक सिपाही ने गाय की चर्बी वाले कारतूस को काटने से साफ मना कर दिया.
12. क्रांति की शुरुआत सैन्य विद्रोह के रूप में हुई थी, लेकिन समय के साथ इसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक जन विद्रोह में अपना रूप बदल लिया, जिसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहा गया.
13. 1857 का स्वतंत्रता समर सर्वविदित है, मराठी भाषा की मूल पुस्तक का हिन्दी अनुवाद उपलब्ध है, क्रांति के भारतीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने वाली यह पहली पुस्तक है.
14. तात्या के दुबलेपन के कारण उनके छोटे भाई उन्हें तात्या कहकर बुलाते थे, इसलिए उनका नाम तात्या, टोपे का अर्थ सेना का नेतृत्व करने वाला सैनिक होता है.
15. 1857 के विद्रोह के कारण सभी भारतीयों के मन में आजादी पाने की आग भड़क उठी और फिर कई वर्षों के संघर्ष और लड़ाइयों के बाद हमारा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजादी पा सका.
16. तात्या टोपे ने किस छावनी से कितने सैनिक आएंगे और रास्ते में उनके रहने और भोजन की व्यवस्था करने के लिए एक अभिनव योजना प्रस्तुत की.
17. 9 मई, 1857 को मेरठ छावनी में 85 भारतीय सैनिकों को यूरोपीय कंपनी और तोपखाने की पहरेदारी में खड़ा कर दिया गया और उनके कपड़े उतार कर निर्वस्त्र कर दिया गया.
18. 1857 का भारतीय विद्रोह भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक व्यापक लेकिन असफल विद्रोह था जिसने ब्रिटिश राज की ओर से एक संप्रभु शक्ति के रूप में कार्य किया.
19. 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान, ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के बड़े हिस्से पर नियंत्रण था, क्योंकि भारत में ब्रिटिश शासन का प्रभाव बढ़ गया था.
20. प्रशासन में उच्च पदों से भारतीयों का वंचित होना, भारतीयों के साथ निरंतर असमान व्यवहार आदि 1857 के विद्रोह के प्रमुख प्रशासनिक कारण थे.
21. 1857 की क्रांति को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने लोगों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया, लेकिन इसके बाद भी क्रांति नहीं रुकी.
22. इस क्रांति से डरे ब्रिटिशर्स ने अपने शासन में कई बदलाव किए और 1857 की क्रांति को असफल बनाने की साजिशें शुरू कर दीं.
23.1857 में क्रांति के समय भारत का गवर्नर जेनरल लॉर्ड कैनिंग एवं इंग्लैंड का प्रधानमंत्री परमस्टेन लिबरल थे.
24. 1857 की क्रांति में योगदान देने वाले तात्या टोपे अपने मित्र और बिठूर के पेशवा नाना साहब के अधिकार छीन लेने से अंग्रेजों से नाराज थे, 1851 में लॉर्ड डलहौजी ने देश के विभिन्न प्रांतों को हड़पना शुरू कर दिया था.
25. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
26. जिस दिन मंगल पाण्डे को 8 अप्रैल को फाँसी दी गयी उसी दिन से क्रांति की चिंगारी सुलगने लगी.
27. अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति, 1857 के विद्रोह का मुख्य राजनीतिक कारण अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति और व्यपगत का सिद्धांत था.
28. 19वीं सदी के पहले 5 दशकों में कई आदिवासी विद्रोह भी हुए, जैसे मध्य प्रदेश में भीलों का विद्रोह, बिहार में संथालों और ओडिशा में गोंड और खोंड जनजातियों का विद्रोह महत्वपूर्ण था.
29. जैसे ही भारत की इस पहली क्रांति की गति धीमी हुई, वर्ष 1858 में ब्रिटिश संसद ने ईस्ट इंडिया कंपनी के अस्तित्व को समाप्त कर दिया, जिसके बाद महारानी विक्टोरिया ने भारत का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया.
30. अंग्रेजी भारतीय सेना का निर्माण 1748 ई. में प्रारंभ हुआ, उस समय मेजर स्ट्रीगर लॉरेंस को अंग्रेजी भारतीय सेना का जनक कहा जाता था.
31. 4 जून, 1857 को जब नाना साहब ने जीतकर स्वयं को कानपुर का पेशवा घोषित किया तो तात्या टोपे को नाना साहब का सेनापति नियुक्त किया गया.
32. 1949 में जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा मंगल पाण्डे ब्रिटिश सेना में शामिल हुए, उस समय भारतीय जनता को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचारों को सहना पड़ा.
33. बड़ी संख्या में भारतीय शासकों और प्रमुखों को हटा दिया गया, जिससे अन्य शासक परिवारों में भय पैदा हो गया.
34. इंग्लैंड में 1858 ई. के अधिनियम के तहत एक भारतीय राज्य सचिव की व्यवस्था की गई, इसकी सहायता के लिए 15 सदस्यों की एक सलाहकार परिषद का गठन किया गया, इन 15 सदस्यों में से 8 सरकार द्वारा नियुक्त किए गए और 7 द्वारा चुने जाने की व्यवस्था की गई.
35. तीनों भू-राजस्व नीतियां स्थायी बंदोबस्त, रैयतवारी बंदोबस्त और महालवारी बंदोबस्त, निर्यात कर में वृद्धि, आयात कर में कमी, हस्तकला उद्योगों का पतन, धन की निकासी आदि आर्थिक कारकों ने 1857 के विद्रोह के मूल में भूमिका निभाई.
36. 10 मई, 1857 को मेरठ में इस चिंगारी ने प्रचंड ज्वाला का रूप ले लिया, जिसने पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र क्रांति की ज्वाला को भड़का दिया.
37. आंदोलन के प्रभाव का क्षेत्र बहुत सीमित था यानी यह स्थानीय प्रकृति का था, अंग्रेजों के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह 1857 में हुआ था, शुरू में यह एक सिपाही विद्रोह के रूप में उभरा लेकिन बाद में यह एक जन क्रांति बन गया.
38. 1857 ई. की क्रांति की असफलता के बाद सेना में अंग्रेज सैनिकों और अधिकारियों की संख्या बढ़ा दी गई.
39. तात्या टोपे के नेतृत्व में नाना साहब की सेना ने सबसे पहले कानपुर जीता, जहाँ उन्होंने लगभग 20 दिनों तक अंग्रेजों को बंदी बनाकर रखा.
40. भारत में ईसाई मिशनरियों का प्रवेश, सती प्रथा का उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता, भारतीय सैनिकों को समुद्री यात्रा के लिए मजबूर करना 1857 के विद्रोह के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक कारण थे.
41. 1857 की क्रान्ति तथा क्रान्तिकारियों से सम्बन्धित अनेक गीत एवं लोकगीत भी करोड़ों स्वरों से गुंजित हुए हैं, जिनमें से डॉ. मैनेजर पाण्डेय ने ‘1857 इन फोक सांग्स एण्ड सोंग्स’ पुस्तक में प्रमुख का चयन एवं संपादन किया है.
42. डलहौजी ने अपने व्यपगत के सिद्धांत का पालन करते हुए सतारा, नागपुर और झांसी जैसी कई रियासतों को अपने अधिकार में ले लिया.
43. पेशवा बाजी राव द्वितीय की मृत्यु के बाद, नाना साहब को अंग्रेजों द्वारा उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वे पेशवा के दत्तक पुत्र थे और उन्होंने उन्हें पेंशन देने से भी इनकार कर दिया था.
44. भारतीय सैनिकों के साथ असमान व्यवहार, उच्च पदों पर नियुक्ति से इंकार, यूरोपीय सैनिकों की तुलना में कम वेतन, डाकघर अधिनियम पारित करना, मुफ्त डाक सेवा की समाप्ति आदि 1857 के विद्रोह के प्रमुख सैन्य कारण थे.
45. 1857 की क्रांति में भाग लेने वाले बिहार, अवध और अन्य स्थानों के लोगों को गैर-लड़ाकू घोषित कर दिया गया और सेना में उनकी संख्या कम कर दी गई.
46. कानपुर की दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों से हारकर तात्या टोपे और नाना साहब ने कानपुर छोड़ दिया था, जिसमें नाना साहब मुख्यधारा से गायब हो गए लेकिन तात्या टोपे ने अंग्रेजों से अपना संघर्ष जारी रखा.
47. इस क्रांति के बाद भारतीय जनता की बातें सुनी गईं और उनका गौरव और अधिकार लौटाने की बात कही गई, जबकि महारानी विक्टोरिया ने भारतीय राजाओं को अपनी ओर से संधियों का पालन करने का वचन दिया.
48. 1857 की क्रांति को कुचलने में अंग्रेजों की मदद की, उन्हें लड़ाकू जाति घोषित किया गया और सेना में बड़ी संख्या में भर्ती किया गया.
49. 9 फरवरी, 1857 को जब यह रायफल सेना में बांटी गई तो अंग्रेज अधिकारी ने मंगल पाण्डे को भी इसका प्रयोग करने को कहा.
50. अंग्रेजों की गुलामी से त्रस्त भारतीय जनता उनके अत्याचारों से तंग आ चुकी थी, इस समय तक सभी भारतीयों के मन में अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति पाने की प्रबल इच्छा जागृत हो चुकी थी.
51. लॉर्ड डलहौजी द्वारा अवध को भी ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया, जिससे हजारों अभिजात वर्ग, अधिकारी, अनुचर और सैनिक बेरोजगार हो गए.
52. 1857 के विद्रोह में, राजस्व संग्रह के सख्त नियमों के कारण किसान और जमींदार वर्गों में असंतोष था, जिनमें से कई ब्रिटिश सरकार की कर मांगों को पूरा करने और साहूकारों को ऋण चुकाने में असमर्थ थे, जिसके कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
53. इतिहासकारों के अनुसार 1857 के विद्रोह की योजना नाना साहब और बिठूर में अजीमुल्ला खान ने तैयार की थी, उनकी योजना के अनुसार क्रांति के लिए 31 मई 1857 तय किया गया था.
54. इस क्रांति के बाद साल 1858 के अधिनियम के तहत भारत में गवर्नर-जनरल के पदनाम में बदलाव करके वायसराय का पदनाम रखा गया.
55. 1857 की क्रांति की योजना इंग्लैंड में अजीमुल्ला खाँ एवं रंगोजो बापू बे बनाई थी एवं निश्चय किया था कि उत्तर भारत में अजीमुल्ला और दक्षिण भारत में रंगोजो बापू विद्रोह का नेतृत्व करेंगे.
56.1857 के विद्रोह में, तात्या टोपे ने अंग्रेजों के खिलाफ लगभग 150 युद्ध लड़े हैं. जिसके चलते अंग्रेजों को काफी नुकसान हुए था और उनके करीब 10 हजार सैनिकों की मृत्यु इन युद्धों के दौरान हुई थी.
57. मंगल पांडे की शहादत ने 1857 यानि की देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति की चिंगारी लगा दी.
58. 22 वर्षीय रानी लक्ष्मीबाई ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया, क्योंकि उनके पति की मृत्यु के बाद अंग्रेज़ों ने उनके दत्तक पुत्र को झाँसी के सिंहासन पर बैठाने से इनकार कर दिया.
59. 9 मई को मेरठ विद्रोह 1857 के संग्राम की शुरुआत का प्रतीक था, मेरठ – मेरठ में भारतीय सिपाहियों ने ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या कर दी और जेल को तोड़ दिया.
60. 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी की 20वीं नेटिव इन्फेंट्री में भी चर्बी वाले कारतूस का प्रयोग करने से मना कर सशस्त्र विद्रोह किया, इसी के साथ 1857 का विद्रोह आरंभ हो गया
61. साल 1857 की क्रांति का धार्मिक दृष्टिकोण पर भी गहरा प्रभाव पड़ा, भारत में 1857 तक मुगल साम्राज्य का रहा-सहा अस्तित्व खत्म हो गया था.
62. 10 मई, 1857 को जली स्वतंत्रता की पहली चिंगारी ने भारत में 90 साल तक भारतीय लोगों के संघर्ष को जारी रखा, जिसके कारण अंग्रेजों को देश छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ा.
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